जनता का सैलाब है किसान आन्दोलन (आन्दोलन के तीन बरस) - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

 

किसान  आन्दोलन के तीन बरस  

जनता का सैलाब है किसान आन्दोलन।
एक सदी पूर्व हुआ था ऐसा आन्दोलन।
जनता की माँग से सरकारें भी हिलती हैं.
इसी लिए गलती पर गलती ही करती हैं।

समय आ गया है, जनता में जागरुकता।
संसद में 50 प्रतिशत महिलायें बैठेंगी।।
हठ फीका हो जाता, जनता जाग जाये तो,
शक्ति पर हमेशा, सत्य-अहिंसा जीती है। 

जब तक तुम नेता तब तलक  सम्मान है।
मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे-चर्च  सब समान है।
किसान आन्दोलन को हल्का आंको ना,
शासन के बिना सिक्का किसका ।

देश के श्रमिक किसान असली सिक्के हैं.
इन्हें दबाने के लिए बुलडोजर भी छोटे हैं.
जालियाँवाला बाग़ भी गर दोहराया जायेगा।
चमड़े के सिक्के न चलें, ये सिक्के खोटे हैं.

राजनीति जरूरी है प्रजातंत्र शासन में,
पार्टियों का आदर हो लोकतंत्र मंदिर में।
जिसे जनता चुनेगी वही  जीत जायेगा,
फिर क्यों लगे हैं हम बहलाने-धमकाने में। 

- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक
    ओस्लो,  04.12.23